गर हो जाते कभी किसी घटना के शिकार,
गर हो जाते कभी किसी घटना के शिकार,
तो सोच-सोच कर ही हो जाते हम बीमार!
क्यूॅं हुआ ऐसा… काश, ऐसा ना होता….
गंतव्य को बाद या थोड़ा पहले ही निकला होता!
पर ये जान लें कि सोचना ऐसा बेमानी है,
जो भी, जैसा भी हुआ वो इक सच्ची कहानी है!
हमें इस पर सकारात्मक रुख़ रखना होगा
सदैव यह सोचें कि किंचित् जो भी हुआ…
ईश्वर ने अच्छे के लिए ही किया होगा!
इससे भी दुखद कुछ और हो सकता था!!
…. अजित कर्ण ✍️