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21 Feb 2021 · 1 min read

गर निराशा , आशा पर भारी पड़ने लगे

गर निराशा , आशा पर भारी पड़ने लगे

गर निराशा ,आशा पर भारी पड़ने लगे

जब उचित –अनुचित का भाव् मन से ओझल होने लगे

जब आस्तिक – नास्तिक का बोध न हो

समझो मानव , निराशा के अंधे कुँए में गोते लगा रहा है

जब प्रभु भक्ति से मन खिन्न होने लगे

जब उसकी महिमा पर संदेह होने लगे

जब उसके अस्तित्व पर ही प्रश्न उठने लगें

समझो मानव सभ्यता अपने पतन की और अग्रसर है

Language: Hindi
1 Like · 219 Views
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