हाथ की लकीरों में
गर निगाहें सुन्दर हो तो अदा मार देती है।
दिल से जो निकलती है वो सदा मार देती है।
उलझी हुई हूँ मैं ,अपनी हाथ की लकीरों में –
गर तकदीर हो हाथ से जुदा मार देती है।
-लक्ष्मी सिंह
गर निगाहें सुन्दर हो तो अदा मार देती है।
दिल से जो निकलती है वो सदा मार देती है।
उलझी हुई हूँ मैं ,अपनी हाथ की लकीरों में –
गर तकदीर हो हाथ से जुदा मार देती है।
-लक्ष्मी सिंह