Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Apr 2024 · 3 min read

“गर्व करू, घमंड नहि”

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
==================
हम गर्व करैत छी कि हम भारतीय छी आ मिथिला क मैथिल छी ! हमर अपन लिपि अछि ,भाषा अछि आ सुंदर संस्कृति ! अनेक भाषा ,विभिन्य संस्कृति ,वेशभूषा आ खान -पान रहैत भारत मे एकता अछि तकर हमरा एहि पर गर्व अछि ! भारतीय सैन्य बल पर हमरा गर्व अछि ! देशक सुरक्षा मे लागल सिपाही पर हमरा गर्व अछि ! साधारणतया गर्व सकारात्मक शब्दक श्रेणीक द्वेतक अछि ! मुदा घमंड शब्द सुनैत हृदय विचलित भ जाइत अछि ! घमंड शब्द नकारात्मक शब्दक द्वेतक अछि ! गर्व केनाई सशक्त व्यक्तित्व क परिभाषा थीक ! मुदा घमंड शब्दक प्रयोग मूढ़ लोकनि करैत छथि ! ओना अनुपयुक्त आचरण , अकुशल व्यवहार ,कर्कश बोल ,अशिष्टता ,अमानवीय आ असामाजिक भंगिमा घमंड व्यक्ति क निशानी थीक ! घमंड व्यक्तिक विशेषता थीक जकर दूषित बसात सामाजिक प्रदूषण केँ बड़बैत अछि !
गर्व कयल जाइत अछि आ घमंडक आभास स्वतः भ जाइत अछि ! एहन व्यक्ति समाज ,ग्राम ,शहर ,देश सब ठाम प्रचुर संख्या मे उपलब्ध छथि ! इ घमंडक संक्रामक रोग फेसबूक क रंगमंच पर सहो सनिहा गेल अछि ! महान सँ महान व्यक्ति ,लेखक ,कवि ,साहित्यकार ,संगीतज्ञ ,कलाकार ,गायक ,चिकित्सक ,अभियंता ,नौकरशाह ,अधिवक्ता ,खेलाड़ी ,प्रवक्ता ,अभिनेता ,दिग्दर्शक इत्यादि एहि रंगमंचक शोभा बड़बैत छथि ! सामान्य लोक केँ इ गर्व क गप्प थीक जे हमरा रंगमंच में एते महान- महान लोक जुड़ाल छथि ! जुडय काल त सामान्य लोक सँ इ सब जुड़ि त गेलाह मुदा तकरा लेल दू शब्द नहि लिखि सकलाह आ नहि कहियो गप्प क सकलाह ! किछु एहि मे अपवादो छथि ! सम्पूर्ण जीवन इ महान आत्मा अपन उपलब्धि क प्रचार -प्रसार मे लागल रहलाह ! अपना सँ साधारण व्यक्ति केँ सदैव दलित बुझि तिरस्कार केलनि ! हमरा बुझने इ स्पष्टतः हिनका लोकनि केँ घमंडी कहब कोनो अतिशयोक्ति नहि भ सकैत अछि !
गर्व त हमरा हुनका पर होइत अछि जे सब चीज मे पूर्ण रहैत अपना सँ श्रेष्ठ केँ ,समतुल्य केँ आ अनुज केँ यथायोग्य सम्मान आ स्नेह दैत रहैत छथि ! समयानुकूल जिज्ञासा करबाक प्रयास सबकेँ करैत रहैत छथि! हुनका पर सब गर्व किया नहि करतनि ? तें त हुनका “ महानायक ” कहि सम्बोधन दसों दिशा मे गुंजित होइत रहैत अछि ! संयानुसारें अपन सुझाब ,प्रेरणा ,ढाढ़स,प्रोत्साहन आ अश्वासन दैत रहैत छथि ! ओ सभक जीवन मे प्रवेश करि कुशल क्षेम पूछइत रहैत छथि ! कहू एहन महान व्यक्ति पर के गर्व नहि करत ?
घमंडी व्यक्ति क आभास भेनाइ कोनो असहज नहि अछि ! व्यावहारिक जीवन में अपन आस -पड़ोस देखि केँ अनुमान सहजहि लागि जाइत अछि ! मुदा फेसबूक पर हुनक गतिविधि सँ अनुमान लगैत अछि जे अपना स्थान मे वो भने श्रेष्ठ छथि मुदा व्याहवारिकता मे वो नगण्य ! आहाँ न्यूज रीडर छी ,अभिनेता छी ,नेता छी ,कवि छी आ जीवनक श्रेष्ठ पद पर अवस्थित छी ,मुदा घमंड किया ? आहाँक मौनता ,निरुत्तरता ,अनदेखी ,अमान्यता क संक्रामकता देखि कियो जे मनोविज्ञानिक चिकित्सक नहियो छथि ओ आहाँ क नकारात्मक भंगिमा केँ देखि आ परखि केँ घमंडी रोग क निदान( Diagnosis ) क सकैत छथि ! कखनो – कखनो घमंडी व्यक्ति केँ दौरा सहो पड़ैत छनि ! मित्रता सूची मे त वो वरखो सँ संमलित छथि ! मुदा कहियो संवाद नहि भेल ! कखनो -कखनो एहन आगि उगलि देताह कि तकर उपचार ICU मे भेटनाई असंभव अछि ! अंततः हुनका सँ विदा लेमय पड़ैया ! बेमतलब क उतरा -चौरी मे किया लागल रहू ?
कर्तव्य एहन हेबाक चाहि जे हमरा पर लोक गर्व करए ! बहिर बनि जे अपने ताले नाचब त लोक घमंडी कहत ! अप्पन गप्प करू ,अप्पन प्रतिभा क प्रदर्शन करू ,समाज ,राज्य ,देश आ विदेश मे अप्पन परचम फहराऊ मुदा मित्र बनल छी त आर किछु नहि संवाद ,स्नेह ,शुभकामना ,बधाई आ सकारात्मक प्रोत्साहन देबा सँ अपना केँ बँचित नहि करू ! कनिष्ठ लोकनि सँ आग्रह अछि जे श्रेष्ठ लोकनि जखन प्रोत्साहन ,ढाढ़स ,स्नेह ,बधाई ,शुभकामना इत्यादि दैत छथि त हुनका THANKS मात्र कहि नेपथ्य मे विलीन नहि भ जेबाक चाहि ! हुनका आभार आ प्रणाम करबाक चाहि ! नहि त घमंड क उपाधि सँ आहूँ अलंकृत भ जायब !
===========================
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका,
झारखण्ड,
भारत

Language: Maithili
Tag: लेख
1 Like · 118 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अक्का देवी
अक्का देवी
Dr.Pratibha Prakash
मैं भी आज किसी से प्यार में हूँ
मैं भी आज किसी से प्यार में हूँ
VINOD CHAUHAN
उद्देश और लक्ष्य की परिकल्पना मनुष्य स्वयं करता है और उस लक्
उद्देश और लक्ष्य की परिकल्पना मनुष्य स्वयं करता है और उस लक्
DrLakshman Jha Parimal
उपहास
उपहास
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
ख़ामोश इन निगाहों में
ख़ामोश इन निगाहों में
Dr fauzia Naseem shad
ट्रेन संख्या १२४२४
ट्रेन संख्या १२४२४
Shashi Dhar Kumar
महफ़िल जो आए
महफ़िल जो आए
हिमांशु Kulshrestha
पिता
पिता
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
आजादी (स्वतंत्रता दिवस पर विशेष)
आजादी (स्वतंत्रता दिवस पर विशेष)
पंकज कुमार कर्ण
अगर आप हमारी मोहब्बत की कीमत लगाने जाएंगे,
अगर आप हमारी मोहब्बत की कीमत लगाने जाएंगे,
Kanchan Alok Malu
"छोटे से गमले में हैं संभलें पौधे ll
पूर्वार्थ
मुक्तक
मुक्तक
Neelofar Khan
दीपावली उत्सव
दीपावली उत्सव
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रातों की तन्हाई में
रातों की तन्हाई में
इशरत हिदायत ख़ान
श्रंगार के वियोगी कवि श्री मुन्नू लाल शर्मा और उनकी पुस्तक
श्रंगार के वियोगी कवि श्री मुन्नू लाल शर्मा और उनकी पुस्तक " जिंदगी के मोड़ पर " : एक अध्ययन
Ravi Prakash
3736.💐 *पूर्णिका* 💐
3736.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
रक्खा था ख्वाब आंखों में अपनी संभाल कर ।
रक्खा था ख्वाब आंखों में अपनी संभाल कर ।
Phool gufran
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
Kshma Urmila
मैं बनारस का बेटा हूँ मैं गुजरात का बेटा हूँ मैं गंगा का बेट
मैं बनारस का बेटा हूँ मैं गुजरात का बेटा हूँ मैं गंगा का बेट
शेखर सिंह
उम्मीद अगर बहुत ज़्यादा होती है
उम्मीद अगर बहुत ज़्यादा होती है
Ajit Kumar "Karn"
पाते हैं आशीष जो,
पाते हैं आशीष जो,
sushil sarna
नफसा नफसी का ये आलम है अभी से
नफसा नफसी का ये आलम है अभी से
shabina. Naaz
"अकाल"
Dr. Kishan tandon kranti
कभी नजरें मिलाते हैं कभी नजरें चुराते हैं।
कभी नजरें मिलाते हैं कभी नजरें चुराते हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
SATPAL CHAUHAN
"कदम्ब की महिमा"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
4) धन्य है सफर
4) धन्य है सफर
पूनम झा 'प्रथमा'
*आवागमन के साधन*
*आवागमन के साधन*
Dushyant Kumar
🙅आज का दोहा🙅
🙅आज का दोहा🙅
*प्रणय*
संघर्ष ,संघर्ष, संघर्ष करना!
संघर्ष ,संघर्ष, संघर्ष करना!
Buddha Prakash
Loading...