*गर्वित हो शीश उठे न कभी,नत मस्तक शिष्टाचार रहे (सवैया)*
गर्वित हो शीश उठे न कभी,नत मस्तक शिष्टाचार रहे (सवैया)
______________________
ईर्ष्या छल द्वेष नहीं उपजे,
मन में न कपट कुविचार रहे
धन का आधिक्य मिले न मिले,
प्रभु सेहत का भंडार रहे
सबसे सम्बन्ध मधुर रखना,
प्रभु सबसे सद्व्यवहार रहे
गर्वित हो शीश उठे न कभी,
नत मस्तक शिष्टाचार रहे
_________________________
रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मो. 9997615451