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25 May 2020 · 1 min read

गर्मी से बुरा हाल

बढ़ा है ताप सूरज का, गगन से आग ही बरसे।
भलाई है इसी में अब,कहीं निकलें नहीं घर से।
जलाती है तपिश ऐसी, कि रेगिस्तान की राहें-
मिले पानी न पीने को, गला इक बूँद को तरसे।

Language: Hindi
1 Like · 215 Views
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