*गर्मी में शादी (बाल कविता)*
गर्मी में शादी (बाल कविता)
————————————–
गरमी के मौसम में
शादी में थे गए बराती
जब नाचे तो देख पसीना
बोले बदबू आती
खाने के स्टाल सजे थे
लेकिन कैसे खाते
छक्के एक कचौड़ी खाकर
छूट सभी के जाते
जलजीरा, कुछ नीबू-पानी
सबके मन को भाया
बरफ पड़ा शरबत पी-पीकर
शादी को निबटाया ।
—————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451