जिस प्रकार लोहे को सांचे में ढालने पर उसका आकार बदल जाता ह
Easy is to judge the mistakes of others,
आज दिवस है इश्क का, जी भर कर लो प्यार ।
सुना है फिर से मोहब्बत कर रहा है वो,
शुभ रात्रि मित्रों.. ग़ज़ल के तीन शेर
तर्कश से बिना तीर निकाले ही मार दूं
आंखों की चमक ऐसी, बिजली सी चमकने दो।
जब हम गरीब थे तो दिल अमीर था "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
कभी चाँद को देखा तो कभी आपको देखा
कुछ मेरा तो कुछ तो तुम्हारा जाएगा
तोता और इंसान
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*दो दिन का जीवन रहा, दो दिन का संयोग (कुंडलिया)*
रोज जमकर बरसात होती हैं मेरी शिकायतों की।
इशारों इशारों में मेरा दिल चुरा लेते हो
पर्दा हटते ही रोशनी में आ जाए कोई