गर्मी बहुत सताये माँ
गर्मी बहुत सताये माँ
तन को धूप जलाये माँ
बाहर लुए चल रही हैं
शर्बत खूब पिलाये माँ ।
कुल्फी रोज जमाये माँ
खीरा काट खिलाये माँ
दही लस्सी मन लुभाये
मट्ठा सुबह बिलोये माँ ।
जब जब बाहर जाये माँ
ठंडे फल है लाये माँ
ठेला टन टन आ जाये
चुस्की भी दिलवाये माँ ।।
डाॅ रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल