गर्मी पर दोहे
गर्मी इतनी पड रही,सबके सब है बेहाल
सूर्य देव का भी चेहरा हो गया है लाल ||
बाहर कोई नहीं निकल रहा,घर में सब बंद |
जैसे काल कोठरी में कोई कैदी हो गया बंद ||
लू ऐसी चल रही,जैसे चल रहे अग्नि के तीर |
हर कोई मांग रहा है, पीने को ठंडा अब नीर ||
भरी दोपहरी ज्येष्ठ की, कर्फ़यु जैसा है हाल |
बाहर कोई न दिखाई दे रहा,सूनी सब चौपाल ||
कर रहे है सब प्रार्थना,दया करो अब भगवान |
वरुण देव को आदेश दो गर्मी का करे निदान ||
कुओं का पानी सूख गया,सूखे सभी है ताल |
पशु पक्षियों का हो रहा ,सबसे बुरा है हाल ||
रहिमन कूलर राखिये, बिन कूलर सब सून |
घर में कूलर आ जाये,तो तब आये सकून ||
बिजली का बिल देखकर,दिया कबिरा रोय |
एसी कूलर के चक्कर में,पैसा रहा न कोय ||
बाँध कर सिर पर तौलिया,चलते बूढ़े जवान |
युवतियाँ भी चल रही,ढक कर मुह व कान ||
पानी बचाओ,पेड़ लगाओ,कहती है सरकार |
एक दिन ऐसा आयेगा,जब होगा बन्टाधार ||
आर के रस्तोगी गुरुग्राम