गर्दभ जी (बाल कविता)
गर्दभ जी (बाल कविता)
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झूठी तारीफों को सुनकर
गधा फूल कर ऐंठा
बीच सड़क पर, चौराहे पर
गाना गाने बैठा
ढ़ेंचू- ढ़ेंचू सुनकर सबने
डंडे खूब लगाए
हुई पिटाई तो गर्दभ जी
जाकर चुप हो पाए
बोले तारीफों के चक्कर
में अब नहीं पड़ुंगा
दोबारा गाने की गलती
अब फिर नहीं करूंगा
रचयिता : रवि प्रकाश, रामपुर