गरीबी के मार,बीवी के ताने
गरीबी के मार,बीवी के ताने
परिवार की चिंता,बच्चों के सपने,
हंसकर फिर भी फर्ज निभाता हूं
मर्द हु न हर गम दर्द छुपाता हूं ll
गरीबी के मार,बीवी के ताने
परिवार की चिंता,बच्चों के सपने,
हंसकर फिर भी फर्ज निभाता हूं
मर्द हु न हर गम दर्द छुपाता हूं ll