गरीबी एक रोग
रोग ऐसे तो कई तरह के होते है,किंतु मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है।एक तो शारीरिक और एक मानसिक । शारीरिक रोग शरीर के बाहरी हिस्से पर सभी को दिखने वाला रोग होता है।परंतु मानसिक रोग तो ऐसे रोग है,जो रोगी को भी पता नही होता है।ये अंदर ही अंदर शरीर को खोखले करते जाता है।
आज हम एक ऐसे मानसिक रोग के बारे में बात कर रहे है,जिससे लगभग सभी लोग ग्रसित है। ये रोग दिखता भी है,अहसास भी होता है लेकिन ये रोग है,यह पता नही चलता है।
गरीबी,बेरोजगारी और लाचारी ये तीन ऐसे मानसिक रोग है जिसके बारे में खुद मरीज को अहसास नही होता है।उसे लगता है की यह सामान्य सी बात है,ये कोई रोग थोड़ी है। यह तो हमारी जीवन की स्थिति है।किंतु ये यह नही जानते की मानसिक रोग को उत्पन करता करता है और धीरे-धीरे शरीर को खोखला करते जाता है।
गरीबी,बेरोजगारी और लाचारी से ग्रसित इंसान दिन रात अपने शरीर को खुद से ही खोखला करते जाते है,कभी तनाव के कारण तो कभी मजबूरी के कारण। वे दिन रात इसके बारे सोचते रहने के कारण जीवन की एक बुरी स्थिति से एक मानसिक रोग में कब बदल जाता है इन्हे पता भी नही चलता।
और अंततः रोगी इसमें इतनी ज्यादा डूब जाते है की ये खुद के साथ अपने परिवार को भी संक्रामक रोग की तरह ग्रसित कर देते है।
परिणाम स्वरूप वे इससे ग्रसित होने के कारण अपने जीवन को अंत तो नही कर पाते है,किंतु परिवार को भी इससे मुक्ति नही दिला पाते है।
~S.KABIRA