गम की मुहर
गम की मुहर
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मोहब्बत कहां अब तो रिश्ते निभेंगे
कभी फर्ज था जो अब चाकरी हो गया
चेहरे पे उसने गम की मुहर लगा दी
शुक्र है मेरा प्यार आखिरी हो गया
– हरवंश हृदय
गम की मुहर
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मोहब्बत कहां अब तो रिश्ते निभेंगे
कभी फर्ज था जो अब चाकरी हो गया
चेहरे पे उसने गम की मुहर लगा दी
शुक्र है मेरा प्यार आखिरी हो गया
– हरवंश हृदय