गम ऐ जोन्दगी
गम ऐ जोन्दगी
दुबई घूमने कि मन में जगी थी बड़ी लहर,
लगा के पंख हवाई का उतरा शारजा शहर।
कुछ पैसा कमाएंगे नये सपने सजाएँगे,
मन में थी विश्वास लहर को पार कर जाएंगे ।।
सपने रह गये अधूरे कुछ भी नही हुए पूरे,
बिना मंजिल की ये सफर आगे रास्ता भुलाया हुं।
उड़ता पंछी की तरह था ये मेरा जीवन,
अब यहाँ ख़ुदको पिंजड़े मे कैद पाया हुँ।।
राम बाबु