गमों को हटा चल खुशियां मनाते हैं
गमों को हटा चल खुशियां मनाते हैं
उस चांद को आज सीने से लगाते है
वैसे तो एक्जाम खत्म कर सिनेमा जातें हैं
ऐसा करते हैं हम ‘मधुशाला’ चलें जातें हैं
-केशव
गमों को हटा चल खुशियां मनाते हैं
उस चांद को आज सीने से लगाते है
वैसे तो एक्जाम खत्म कर सिनेमा जातें हैं
ऐसा करते हैं हम ‘मधुशाला’ चलें जातें हैं
-केशव