गमले में बेला खिलता था (नव गीत)
गमले में बेला खिलता था
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छज्जे से नीचे झाँका था
गमले में बेला खिलता थाI
गमले लदे हुए फूलों से
सूरज पूरब में उगता था I
श्वेत रंग का बेला महके
टहनी पर वह कुछ झुकता थाI
धूल भरी आंधी आ गयी
भरे टोकरे अमियों से सब
दादी ने झट काटा पीटा
भरे बियान अचारों से अबI
बीन बीन कर ढेरों अमियाँ
कोई मुझे दूर तकता था।
……आभा