गधा
चार पैरों की एक सवारी,
बोझा लादे कमर में भारी,
दिखता है सीधा-साधा आलसी,
कान खींचकर कहीं ले जाओ,
जहांँ पर न जाए मोटर कार,
वहांँ पर भी माल वाहक बन जाए,
पूँछ हिलाता खड़े-खड़े सुस्ताता,
हरी घास फूस भोजन में है खाता ,
धोबी के संग घाट पर जाता ,
ढ़ेंचूंँ-ढ़ेंचूँ आवाज है लगाता ,
कुछ कम बुद्धि का समझ है आता ,
कहने को बस गधा ही कहलाता ।
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बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर ।