गणेश जी की स्तुति
पान फूल मेवा जो चढ़ावें गणपति जी को
मन की मुरादें फिर मनचाही पाया है।।
अंधन को आँख देवे कोढ़िन को काया जो
बाँझन को पुत्र देवे निरधन को माया है।।
ध्यान धरता है जो मन में गणेश का
घर परिवार सुखी सुखी रहे काया है।।
सिद्ध करे काज और दीनन की लाज रखे
जय गणेश आरती को आपने जो गाया है।।