******गणेश-चतुर्थी*******
******गणेश-चतुर्थी*******
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शंभु दुलारे असुर निकंदन,
जाऊँ बलिहारी करूँ वंदन।
प्रथम पूजते देव गणेशा,
हाथ जोड़ करते अभिनंदन।
मोदक प्रिय विध्न विनाशक,
संकट मोचक गौरी नन्दन।
जन की अर्जी मर्जी हो तेरी,
कृपा हम पर होगी नृपनंदन।
गणपति वाहन मूषक राजा,
बुद्धि विधायक हैं दुखभंजन।
रिद्धि सिद्धि बुद्धि के प्रदाता,
सुख समृद्धि हो काया कुंदन।
गणेश चतुर्थी गजानन पधारे,
जन मन गण का दूर क्रंदन।
मनसीरत की पूर्ण आशा,
पार्वती तनय मस्तक चन्दन।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)