*** गणित ही बदल डाला ***
सूरज भी तेरे हुस्न की लाली से निकलता होगा
फिर तो चाँद भी तुम्ही से रोशनी लेता होगा ।।
तेरे हुस्न ने दस्तूर-ए-संसार ही नहीं बदला
समीकरण के साथ गणित ही बदल डाला ।।
?मधुप बैरागी