जय गणराज
पूजे हम प्रथम ही, प्रथम करते काज ।
मेरे मंगल मूर्ति, आओ गणेश आज ।।1।।
विघ्न हरो मंगल करो, बुद्धि दो गण राज।
प्रकृति ना दूषित हो, उत्सव हो यह काज ।।2।।
जय हो गणराज
(रचनाकार- डॉ शिव ‘लहरी )
पूजे हम प्रथम ही, प्रथम करते काज ।
मेरे मंगल मूर्ति, आओ गणेश आज ।।1।।
विघ्न हरो मंगल करो, बुद्धि दो गण राज।
प्रकृति ना दूषित हो, उत्सव हो यह काज ।।2।।
जय हो गणराज
(रचनाकार- डॉ शिव ‘लहरी )