गणपति संगै रहबै यौ
गणपति सगैं रहबै यौ
मोर धिया के भाय बनिक विघन के रहबै यौ,
गणपति संगै रहबै यौ।
धिया निर्बुद्धि, बल के हीन,
निर्बल बुझियो यौ,
ऋद्धि- सिद्धि के स्वामी गजानन,
जडमति हरियो यौ,
गणपति संगै रहबै यौ।
हाट बाट में कांट भरल अछि,
डरले बुझियो यौ,
अहाॅं बलशाली गण-गणनाय
संबल बनियो यौ,
गणपति संगै रहबै यौ।
सगर जगत सों, कहि सुनि बैसलों,
हारले बुझियो यौ,
वक्र हरण छी, वक्रतुण्ड यौ,
विनती सुनियो यौ,
गणपति संगै रहबै यौ।
जे उलझल कथ कहि नै सकलौं,
सहो बुझियो यौ,
गोरीपूत छी अहाॅं विनायक,
मंगल करियो यौ
गणपति संगै रहबै यौ।
मोर धिया के भाय बनिक विघन के रहबै यौ,
गणपति संगै रहबै यौ।
उमा झा