गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस फिर आया है
गणतंत्र दिवस फिर आया है, हर वर्ष दिवस यह आता है गणतंत्र है भारत अति प्राचीन, दिवस यह याद दिलाता है
दिन दासत्व के स्मरण कराता, आक्रांता थे जब यहां बसे
हमारी कलह फूट के कारण ही, विदेशी आकर राज किए
संस्कृति, कला, इतिहास नष्ट कर, वैभव लूटे, भाग चले।
नवगणतंत्र है, नया है भारत, अक्षुण्ण इसे रखने की सोचें
हो फिर न कलह, संघर्ष यहां, मात्र राष्ट्र विकास की सोचें
आया है फिर गणतंत्र दिवस, आएं सब मिल पुनः मनाएं
वंदे मातरम के नारों के संग, आएं राष्ट्रीय ध्वज फहराएं।
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–राजेंद्र प्र गुप्ता, मौलिक/स्वरचित/अप्रकाशित ।