गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवानी थी बहुत झूली प्राधिनता के झूले पर
खाई अनगिनत गोली मां के सपूतों ने सीने पर
बहुत सी चूड़ियां टूटी , बहुत से लाला खोए थे
बुढ़ापे ने कांधो पर, सपूतों के शव ढोए थे
यूं माटी को चूमना कहां आसान था इतना
अपने प्राण देकर , आज़ादी के बीज बोये थे
इस लोक से उस लोक तक, फहरते तिरंगे का सुंदर नज़ारा हो
अमित, अज़र, अमर ,शाश्वत , अविनाशी गणतंत्र हमारा हो
प्रज्ञा गोयल ©®