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11 Apr 2020 · 1 min read

गढ़वाली दोहे -1 | मोहित नेगी मुंतज़िर

चूणु कुडू धार कू ,बांजा पडयू घराट
गौ कु बाटू देखणु , दगड़िया तेरी बाट।

पुन्गडी पाटली सूख गिन ,खाली पड्यां गुठयार
फेडयू मां कांडा जमयां ,सड़गिन द्वार तिवार।

उत्तराखंड बणाई की , करि क्या तुमुन बिकास
चाटी पोंझी खाई की , तोड़ी हमारू बिश्वास।

गेल्या बोडी एगी अब ,फूलों कू त्योहार
फ्यूंली का फूलुन सजा , गौं का द्वार द्वार।

आंखऊँ मां सुरमा लगयूं , बणी छपेली बांद
नौ गज का धौंपेला मां , धरती मा उत्र्यु चांद।

Language: Hindi
259 Views
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