गज़ल
••अज्ञानी की कलम••
संस्कार और सुसंगति
मार्ग
सुकर्मी का परम समाधान
यही
प्रमोद कर्ष कहते हैं
सतल
जुस्तजू करता दिलोजान
यही
हरदम हमगम प्रतीक्षा
हो
संभव करता है ईश
यही
कर्म हीन भाग्य यूँ देखते
हैं
मन-वांछित फल पाते हैं
यही
स्वर ताल सम और लय
रूझान
सत रज तम से बनाया
जहान
सर्जन होंगे द्रीड़ा
होगी
दुख की मिटेंगी कहर
मगन
भजलो प्राणी राम मन
में
जायेगा संग सुयश
वही।।
स्वरचित एवं मौलिक
जूनियर झनककैलाश अज्ञानी झाँसी उत्तर प्रदेश