गज़ल
गज़ल
नयी नस्लों के बच्चे भी बड़े खुंखार होते हैं।
जिन्हें मासूम हम कहते बड़े गद्दार होते हैं।
सियासत में उन्हें कोई सज़ा कैसे दिलाएगा।
अस्ल में ये बच्चे हुकूमत के रिस्तेदार होते हैं।
कोई नेता का बेटा है तो कोई भाई है उनका।
अजीब हाल में भी ये बड़े फनकार होते हैं।
बड़ी अय्याश दुनिया है हुकूमत से नहीं डरती।
ज़ुल्म औरत पे भी अब खंजरों से बार करते हैं।
जिसे हम दोस्त कहते हैं हक़ीक़त में वो ज़ालिम हैं।
लगा सीने से हमको जिस्म का व्यापार करते हैं।
बड़ी मजलूम है औरत बड़ा बेवाक चेहरा है।
गुनाह करके भी कुछ नहीं होता बहुत आज़ाद होते हैं।
Phool gufran