गजल_हमें तो झूठ बोलना नहीं आता
हमें तो झूठ बोलना नहीं आता।
उन्हें सच स्वीकारना नहीं आता।
वे तो हर बात से जाते हैं मुकर।
हमें बस क्रोध करना नहीं आता।
उन्हें ‘चमचों’ की बात भाती है।
हमें ही गिड़गिड़ाना नहीं आता।
दारू भी दवा बना किया है यहाँ।
हमें ही बस पिलाना नहीं आता।
सपने होते रहे हैं पूरे दुनियाँ में।
हम हैं कि हमें देखना नहीं आता।
विजय का वर भी मिला किया है।
हमें ही दामन फैलाना नहीं आता।
शोर न होता तो हम सह लेते दर्द।
उन्हें चुपचाप रहना नहीं आता।
वफा का उम्र जितना बड़ा हो अच्छा हो।
हमें तो है बेबफा बनना नहीं आता।
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अरुण कुमार प्रसाद 6/7/22