#गजल:-
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■ ज़िंदगी, मोहलत नहीं दे5गी।।
【प्रणय प्रभात】
● फ़लक़ खुशबू नहीं देगा, ज़मीं राहत नहीं देगी।
परीशां-हाल कुदरत आपको, इज़्ज़त नहीं देगी।।
● तुम्हें मालूम था, ये तौहमतें कल काम आऐंगी।
हमें लगता रहा, ये दोस्ती तौहमत नहीं देगी।।
● हमारा मशवरा है, आज करिए जो भी करना है।
बड़ी ही बेरहम है ज़िंदगी, मोहलत नहीं दे5गी।।
● यकीं इतना तो है हमको, ख़ुदाई की निज़ामत पर।
तुम्हें नैमत हज़ारों दे, हमें लानत नहीं देगी।।
● अमीरे-शहर हो बेशक़, रहो अपनी बला से तुम।
मगर हड़पी हुई दौलत, तुम्हें बरक़त नहीं देगी।।
● ज़मीरों को रहन रखना अमीरी की अलामत है।
कभी भी ये इजाज़त आपको, ग़ुरबत नहीं देगी।।
● सियासत चाहती है, सब अपाहिज हों रियासत में।
कभी भी आपके पांवों को, ये ताक़त नहीं देगी।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
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