#गजल
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■ तुम्हारा हो नहीं सकता।।
【प्रणय प्रभात】
◆ कभी भी साथ इक शब का गवारा हो नहीं सकता।
जो सूरज है वो सूरज है, सितारा हो नहीं सकता।।
◆ मुझे अपनी वफ़ा पर नाज़ है मैं आज कहता हूं।
जो मेरा हो नहीं पाया, तुम्हारा हो नहीं सकता।।
◆ नहीं था बे-सबब दामन छुड़ाना, हाथ से उसके।
हमें लगने लगा था वो, हमारा हो नहीं सकता।।
◆ अगर सच्ची मुहब्बत में, तआल्लुक़ तर्क हो जाए।
यकीं मानो कि ऐसा फिर, दुबारा हो नहीं सकता।।
◆ जहां पल-पल बदलती सीरतें, आंखों के आगे हों।
कसम से ऐसी बस्ती में, गुज़ारा हो नहीं सकता।।
◆ घरोंदा राख कर डाले, कहां आतिश के बस में है?
हवा का जब तलक ना हो इशारा हो नहीं सकता।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)