गंगा (मुक्तक)
जीवन मे खुशियाँ बोती है
पाप सभी के ये धोती है
इसमें मत डालो यूँ कचरा
ये गंगा मैली होती है
गंगा में डुबकी खूब लगाना
तन मन दोनों को ही नहलाना
ध्यान हमेशा तुमको रखना है
इसको मैला भी नहीं बनाना
जीवन में खुशहाली भरती
हरी भरी करती ये धरती
पावन गंगा मात हमारी
पाप कष्ट हम सबके हरती
डॉ अर्चना गुप्ता