गंगा सेवा के दस दिवस (प्रथम दिवस)
आज गंगादशहरा के पावन पर्व पर मां गंगा के पावन चरणों में प्रणाम तथा आप सभी को मंगल कामना..💐💐
आगामी दस दिनों तक माँ गंगा के इस दशहरा पर्व को याद करते हुए माँ गंगा की शब्दांजली सेवा का संकल्प लिया है।
आज प्रथम दिन माँ के चरणों पहले पांच छंद समर्पित हैं।काव्य कला से कोसों दूर, किन्तु भाव भक्ति से भरपूर इन शब्द पुष्पों को आपका स्नेह व मां गंगा का आशीर्वाद मिले, यही अपेक्षा है💐💐☺️😊💐💐
हर-हर गंगे…हर-हर महादेव…..!!
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गंगासेवा के दस दिन-:
पहला दिन- रविवार 16 जून 2024
💐💐💐💐💐💐💐💐💐1.स्वारथ के बिन कर रहीं,
गंगा ज़न कल्याण।
युगों युगों से फूंकती,
भारत-भू में प्राण।।
भारत भू में प्राण,
देवताओं की नदिया।
इसकेबिन अवरुद्ध
जीवनी-रथ का पहिया।।
गंगा सागर तक हो
गंगा का अविरल पथ।
गंगा के हित जुटें,
त्याग अपने सब स्वारथ।।
2.स्वारथ के हित कर रहे,
मां पर अत्याचार।
गंगा शोधन के लिए,
होते मात्र ‘विचार’।।
होते मात्र विचार,
कागज़ी दौड़ें घोड़े।
कहने भर को काम
हो रहे थोड़े थोड़े।।
शुद्धिकरण यंत्रों ने
गंगा डाली हैं मथ।
नेता अभियंता जनता,
सबके हैं स्वारथ।।
3.कोई भी हो जाति या,
कैसा भी इंसान।
गंगा ने हर जीव का,
रखा सदा सम्मान।।
रखा सदा सम्मान,
कि जड़ चेतन को तारा।
गंगा जल ही बना,
मनुज का अंत-सहारा।।
गंगा को दूषित कर
अपनी गरिमा खोई।
बस अंतिम संकल्प,
प्रदूषित करें न कोई।।
4.नदी हमारी शक्ति है,
जीवन का संचार।
जीवन की रेखा बनी,
है नदियों की धार।।
है नदियों की धार,
भूमि की प्यास बुझाए।
हर संकट में,
यह जीवन रक्षक बन जाये।।
करो प्रदूषण मुक्त, बनाने की तैयारी।
रहे सदा शुचि सुंदर, गंगा नदी हमारी।।
5.गंगा तट पर कीजिये,
ध्यान तथा स्नान।
कचरे से हो मुक्त यह,
इसका भी हो ध्यान।
इसका भी हो ध्यान,
नहीं अपद्रव्य बहाएं।
गंगा परम् पवित्र,
स्वच्छता इसमें लायें।।
कहें संत रैदास,
अगर अपना मन चंगा।
कहीं न भटको,
मिले कठौती में ही गंगा।।
….जारी💐💐