गंगा सेवा के दस दिवस (द्वितीय दिवस)
गंगा- सेवा के दस दिन
दूसरा दिन- सोमवार 17 जून 2024
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6.नदिया के तट पर यहां
तीरथ मन्दिर धाम।
कहीं यज्ञ तप दान हैं,
कहीं भक्ति निष्काम।।
कहीं भक्ति निष्काम,
कहीं शिव का आराधन।
कहीं ध्यान में मग्न
हो रहा है हरि चिंतन।।
कहीं गाय के संग
दान दी जाती बछिया।
परम् शांति का लाभ
करती गंगा नदिया।।
7.पावनता और स्वच्छता
रहती हर दम साथ।
गंगाजल हो स्वच्छ और,
श्रद्धानत हो माथ।
श्रद्धानत हो माथ,
शुद्धि हित आगे आयें।
नष्ट न हो अस्तित्व,
प्राण दे इसे बचाएं।।
गंगा की ,दुनिया भर में
है किससे समता?
रहे सदा अक्षुण्ण,
जाह्नवी की पावनता।।
8.भारत कण-कण मानता
गंगा का उपकार।
युगों-युगों से कर रहीं,
मानव का उद्धार।।
मानव का उद्धार,
धरा को अमृत पिलातीं।
पाप ताप कटु क्लेश,
बहा कर सब ले जातीं।।
देव नदी हैं गंग,
सभी का है यह अभिमत।
युगों-युगों माँ गंगा का,
आभारी भारत।।
9.माता सा धीरज रखे,
सहन करे चुपचाप।
गंगा माँ पर ज्यादती,
करते हम और आप।
करते हम और आप,
प्रदूषित भी तबियत से।
जबकि राष्ट्र का सत्व
बचा इसके ही सत से।।
डुबकी अपने जीवन में,
जो एक लगाता।
महादेव की शरण,
दिलातीं गंगा माता।।
10.मानव को गंगा मिलीं,
ईश्वर का वरदान।
इस अनुपम वरदान का,
हमने रखा न ध्यान।।
हमने रखा न ध्यान,
किया भरपूर प्रदूषण।
जबकि मातु गंगा हैं,
शिव-मस्तक का भूषण।।
गंगा दूषित करे ,
मनुज काया में दानव।
माँ की करे सम्हाल,
वही सच्चा सुत,मानव।।