गंगा- सेवा के दस दिन (तीसरा दिन)- मंगलवार 18जून2024
गंगा- सेवा के दस दिन
तीसरा दिन- मंगलवार 18जून2024
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11.माँ गंगा को दीजिये
माँ जैसा सम्मान।
घाट-धार सब स्वच्छ हों,
इसका रखिये ध्यान।।
इसका रखिये ध्यान,
बहे यह धारा अविरल।
उसे नष्ट क्यों करें?
भक्त जन पर जो वत्सल।।
शिव मंदिर पर ज्यों सजता है
ध्वज पचरंगा।
जल स्रोतों की कीर्ति पताका
हैं माँ गंगा।।
12.सबका पहला धर्म है,
गंगा का सम्मान।
वह अनपढ़ ग्रामीण हो,
या शहरी विद्वान।।
या शहरी विद्वान,
ध्यान रखना है हर-पल।
अमृतमय ही बना रहे,
पावन गंगाजल।।
गंगा तट पर पलता,
भारत का हर तबका।
गंगा रक्षा से
विकास पथ जुड़ता सबका।।
13. गंगा केवल जल नहीं,
ये अमृत रस धार।
सृष्टि चेतना के लिए,
यह जीवन आधार।
यह जीवन आधार,
कोटि प्राणी हैं पलते।
वृक्ष मनुज जल-जीव,
यहाँ बसते और फलते।।
पावन जल में कचरा बहे,
काम बेढंगा।
सब कुछ सह कर चुप से,
बहती जाती गंगा।।
14.गोमुख से आती यहाँ
निर्मल अमृत धार।
गिरिखण्डों से निकल कर,
उतरे ये हरिद्वार।
उतरे ये हरिद्वार,
बसे बहु शहर किनारे।
शहर-दर-शहर
दिखते हैं नारकी नज़ारे।।
पावन गंगा के दर्शन में,
है अद्भुत सुख।
गंगा, सागर तलक
शुद्ध हो,जैसे गोमुख।।
15.चमकें गंगा घाट और
निर्मल हो जल-धार।
यह माँ गंगा पर नहीं,
खुद पर है उपकार।
खुद पर है उपकार,
करें गंगा का रक्षण।
गंगा पर बलिदान रहे
जीवन का हर क्षण।।
रवि किरणों से,
गंगा तट बिजली से दमकें।
जल में जीवों के,
हम सब के चेहरे चमकें।।
(…अशेष)💐💐