गंगा – वंदना
गंगा
हे सुरसरिता
तन – मन पावन कर दो
हे सुरसरि
जीवन धन रोशन कर दो
हे मंदाकिनी
जग को धन्य कर दो
हे भागीरथी
अपने आँचल में जगह दे दो
हे देवनदी
अपनी चरण रज दे दो
हे माँ गंगे
कर न विलम्बे
इस धरा को पुण्य कर दो
हे अलकनंदा , हे त्रिपथगा
पावन वंदन स्वीकार करो