गंगा मैया
( प्यारा सजा है दरबार ओ अम्बे मईया.. गीत की तर्ज पर )
गंगा गीत🙏🌹
अविरल बहे है तेरी धार
हो गंगे मईया…
अविरल…२
भागीरथ धरा पे तुझको लाये…
पितृ तरे जल निर्मल पाये…
शिव मष्तक से निकली ,धार
हो गंगे मईया ..
अविरल बहे है तेरी धार..
देवभूमि में गोमुख से निकली..
भगीरथी ,अलकनंदा ,मंदाकिनी बनीं थी…
ब्रम्हा का तू वरदान ओ गंगे मईया ..
अविरल बहे…2
धरती पर तू स्वर्ग से आई,
खुशहाली बन जगत में छाई
अमृत है,जननी तेरी धार,. ओ गंगेमईया …
अविरल बहे तेरी ..२
कुंभ जल बन तू कलश में साजे ..
जो न पाये ,हैं वो अभागे …
करती है भव से पार ,हो गंगे मईया…
अविरल बहे तेरी धार हो
गंगे मईया …२
ऐसे ही निर्मल मुझको रखियो,
नीर गंग से आचमन करिओ
रखियो न गंदगी, अपार ओ भक्तों प्यारे …
निर्मल बहेगी मेरी धार ओ भक्तों प्यारे …..
कुंभ में बहे अमृत धार ओ भक्तोंप्यारे…
धरती पे रहूंगी हर बार ओ भक्तों प्यारे…
अविरल बहे तेरी धार… २
डॉ कुमुद श्रीवास्तव वर्मा कुमुदिनी लखनऊ
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