गंगा मैया
.1.
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी दिवस , हुआ अवतरण गंग ।
दिन ये ‘गंगा दशहरा ‘ , स्नान ध्यान से चंग ।।
2.
सिर्फ नदी गंगा नहीँ , संस्कृति खरी प्रतीक ।
गंगा विष्णु स्वरूप हैं , विष्णु पदी की लीक।।
3.
पूज्य चरण से विष्णु के , हुईं अवतरित मात ।
अमृत तुल्य जल गंग का , पीते नहीं अघात ।।
4.
सफल भगीरथ तप हुआ , देवपगा शिव शीष ।
मृत्यु लोक को यों मिला , माँ गंगा आशीष ।।
5.
माता हैं वसु आठ की , भीष्म छोट हैं पूत ।
भागीरथ के तप बदल , गंग स्वर्ग की दूत ।।
6.
माँ पातक नाशिनी , दुनिया में मशहूर ।
माँ गंगा के नीर से , अन्न मिले भरपूर ।।
7.
किटाणु नाशक गंग जल , सहमत है विज्ञान ।
गंगा जल का इस तरह , बढ़ा विश्व में मान ।।
8.
स्नान,पान व भोजन से , कुष्ठ रोग भी दूर ।
‘गंगा लहरी ‘ लिख किया , ‘ पद्माकर ‘ मशहूर ।।
9.
हरिद्वार ऋषिकेश के , बहुत बड़े हैं भाग ।
मंशादेवी साथ है , माँ गंगा का अनुराग ।।
10.
आस्था के जिस पर्व में , गंग स्नान का योग ।
बिना शिकायत बिना झिझक , शामिल होते लोग ।।
11.
निकली हिमगिरि जाह्नवी , भरा औषधी नूर ।
देवनदी असली बने , अगर प्रदूषण दूर ।।
12.
‘सर्वतीर्थ ‘सतयुग समय , त्रेता ‘ पुष्कर ‘ स्तुत्य ।
‘ कुरुक्षेत्र ‘ था द्वापरे , कलियुग ‘ गंगा ‘ पूज्य ।।
13.
गंगा ,यमुना ,सरसुती , संगम के त्रय प्राण ।
संगम स्नान प्रयाग में , जीव पाय कल्याण ।।
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प्रबोध मिश्र ‘ हितैषी ‘
वरिष्ठ साहित्यकार ,
बड़वानी (म. प्र . ) 451 551
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