गीत-गंगा माँ की महिमा
गंगा मैया! महिमा तेरी बडी निराली।
धो-धोके पाप पापियों के,
हालत ये कैसी बनाली।
गंगा मैया!महिमा तेरी बडी निराली।
स्वर्ग लोक से है तू आई।
शंकर जी की जटा समाई।।
भगिरथ की लाज बचाई,पत्थर में आत्मा डाली।
गंगा मैया!महिमा तेरी बडी निराली।
प्रण शान्तनु ,ने जब तोड़ा।
राजमहल का सुख था छोड़ा।
शाप का घोड़ा ऐसा दौड़ा,एक वसू की जान बचा ली।
गंगा मैया! महिमा तेरी बडी निराली।
कल-कल करती है तू बहती।
हर पाप मैं धोऊँ है तू कहती।
दामन पे दाग खुद है तू सहती,जाने कैसी,धुन है लगा ली।
गंगा मैया!महिमा तेरी बडी निराली।
विकराल रूप, तू जब-जब धरती।
विनाश का तांडव, है तू करती।
जान हाथ से लगे फिसलती,कोई छूट,ना जाये मवाली।
गंगा मैया ! महिमा तेरी बडी निराली।
गंगा मैया!महिमा तेरी बडी निराली।
धो-धोके पाप पापियों के,
हालत ये कैसी बनाली।
गंगा मैया !महिमा तेरी बडी निराली।
✍ शायर देव मेहरानियाँ
अलवर, राजस्थान
(शायर, कवि व गीतकार)
__7891640945
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