गंगा दशहरा
हे निर्मल पावन गंगा मैया
बहे कल-कल स्वर कर न्यारा
स्वच्छ श्वेत सुंदर सत्य सुंदरा
धरा पर करती सबका उद्धार।
हे सुरसरि ,भागीरथी सरिता,
देवाधिदेव महादेव जटा से निकली
कल-कल निनाद कर माता
नदिया रूप सबसे करती ममत्व प्यार।
हे मंदाकिनी पवित्र मां गंगा
स्वच्छ निर्मल नीर है तुम्हारा
जहां वास वो तेरा तीर्थस्थल कहलाता
लहराती इठलाती नम करें वसुंधरा ।
हे पूज्य पूजनीय सबकी गंगा मैया
जिसने श्रद्धा से स्पर्श किया तुम्हारा
दूर किया उसके जीवन पथ का अंधेरा
महिमा इतनी धरा पर प्रकाश बिखरा।
जयति जयति जय हे सुरसरिता
अमृत है तेरा जल सारा
औषधीय से भरा नीर तेरा न्यारा
जगत में तुम्हीं है हिंद की गरिमा।
हे नमो नमो नमः नमामि गंगे
सिमरन से ही सब पाप हरले
प्रतिपल ध्यान ,टेर सुनो मां हे पालन गंगे
कृपा से भक्तजनों का जीवन सुधरा।
हे मोक्षदायनी उज्जवल मां गंगा
अवतरण”दिवस कहलाएं गंगा दशहरा
देखकर आशीर्वाद अपना
पातक हर सबके तुमने ही तारा।
– सीमा गुप्ता, अलवर राजस्थान