गंगा जी में गए नहाने (बाल कविता)
गंगा जी में गए नहाने( बाल कविता)
☘??☘??☘??
गंगा जी में गए नहाने
डुबकी एक लगाई,
ठेले पर बिक रही जलेबी
जीभ देख ललचाई।।
मम्मी बोलीं” धूल भरी यह “-
कहकर नहीं खिलाई ,
मजा आ गया लेकिन खिचड़ी
भंडारे में पाई ।।
मिला साथ में दूध ढ़ेर था
जिसमें पड़ी मलाई।।
—- …——————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451