ख्वाहिशों के बोझ मे, उम्मीदें भी हर-सम्त हलाल है;
ख्वाहिशों के बोझ मे, उम्मीदें भी हर-सम्त हलाल है;
खौफ-ए-जमा़ना है, लगता है इज़्ज़त-ए-नफ़्स का सवाल है।
ख्वाहिशों के बोझ मे, उम्मीदें भी हर-सम्त हलाल है;
खौफ-ए-जमा़ना है, लगता है इज़्ज़त-ए-नफ़्स का सवाल है।