ख्वाब
ख्वाब हकीकत अगर बन जाते,
अकर्मण्य शायद सभी हो जाते।
ख्वाब अगर न आते किसी को,
न उम्मीदों के गुलशन सज पाते।
ख़्वाबों का सुंदर जहां न होता,
कैसे चिंता की थकन मिटाते।
ख्वाब ने ही जीवन में बढ़ाया,
ख्वाब ने ही आशा को जगाया।
प्यार करो ख्वाबों से आगे बढ़ो,
पूरा करने को हिम्मत तो करो।
कोशिश हो निरन्तर बेकार नहीं,
ख्वाबों पर करो अधिकार सही।
मेहनत का अपना जहां सजाओ,
ख्वाब जो देखो पूरा इसे बनाओ।
कोई ख्वाब अधूरा रह जाए अगर,
गम न होगा फिर अपनी हार पर।
ख्वाब देखना राह में छोड़ न देना
नई उम्मीद की छांव देते ये ख्वाब।
प्रयत्नों की कड़ियां कभी न हारें,
तो मेहनत होगी फिर से नायाब।
स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश