ख्वाब पयरे हमें आने लगे
* ख्वाब प्यारे हमें आने लगे *
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ख्वाब प्यारे हमें आने लगे,
चाँद – तारे सभी गाने लगे।
क्या ख़ता है हुई हमको बता,
पास से ही गुजर जाने लगे।
गम मुझे काटते हैं रात-दिन,
सांप आस्तीन बन खाने लगे।
गर गिले और शिकवे हैं मिले,
बात प्यारी सदा ताने लगे।
रूबरू वो नहीं तो कुछ नहीं,
याद में हू-बहू आने लगे।
न मनसीरत कभी है मानता,
प्यार में यार दीवाने लगे।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)