ख्वाब था मगर हसीन
तुमको था मुझपे हां यकीन कितना था
अफसोस ये ख्वाब था मगर हसीन कितना था
काश के उस रात की सुबह हुई न होती
सुबह का मौसम खिला था मगर गमगीन कितना था
अफसोस ये ख्वाब था मगर हसीन कितना था
हर बात पे हामी भरनी ये कब तय हुआ था
हर बात पे आंह भरना ये कब तय हुआ था
तय तो हुआ था एक दूसरे का ख्याल रखेंगे
मामला मोहब्बत का है माना मगर संगीन कितना था
अफसोस ये ख्वाब था मगर हसीन कितना था
तुम ना मिलते तो क्या में चल नही पाता
अपने हालात ए जिंदगी क्या में बदल नही पाता
तुमसे मिलकर लगा रंग मेरा फीका फीका सा है
थोड़ा तन्हा सा था में मगर रंगीन कितना था
अफसोस ये ख्वाब था मगर हसीन कितना था
#VimalKiDuniya