ख्वाब अधूरे रह जाते हैं ——– मुक्तक
ख्वाब अधूरे रह जाते हैं ,गरीबी की मार से।
पालन पोषण मुश्किल होता ,महंगाई की मार से।
योग्यता पाता सारी ,सामने फिर भी बेकारी।
नहीं करता शिकायत,दबा रहता अपने ही भार से।।
राजेश व्यास अनुनय
ख्वाब अधूरे रह जाते हैं ,गरीबी की मार से।
पालन पोषण मुश्किल होता ,महंगाई की मार से।
योग्यता पाता सारी ,सामने फिर भी बेकारी।
नहीं करता शिकायत,दबा रहता अपने ही भार से।।
राजेश व्यास अनुनय