ख्वाईशों की हवा
लो फड़फड़ाने लगी लौ शमा ए जिंदगी की ,
ख्वाईशों की हवा का ज़ोर कुछ जायदा हो गया ।
अब तू ही संभाल खुदा मेरे ,
यह दौर अब काबू से बाहर हो गया ।
लो फड़फड़ाने लगी लौ शमा ए जिंदगी की ,
ख्वाईशों की हवा का ज़ोर कुछ जायदा हो गया ।
अब तू ही संभाल खुदा मेरे ,
यह दौर अब काबू से बाहर हो गया ।