*खो दिया सुख चैन तेरी चाह मे*
खो दिया सुख चैन तेरी चाह मे
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थक गये हम राही तेरे राह में,
खो दिया सुख चैन तेरी चाह में।
भूलकर भी हम भूल सकते नहीं,
बखश दो हमें दो कदम पनाह में।
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मुश्किल बहुत रहना उनके बिना,
कर दो रहम रख लो हमें छाँह में।
शेष रह गई लड़ाई आर-पार की,
देख लो न्है दर्द कितना आह में।
आ गई वो घड़ी कह दूँ मनसीरत,
बाँध लो दायरे में अपनी बाँह में।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)