खोया मन का प्यार
प्रस्तुति- गीत
———
खोया मन का प्यार
******************
गीत बताओ कैसे गाऊँ, खोया मन का प्यार यहाँ ।
घुटा हुआ दम अरमानों का , हुई विषैली ब्यार यहाँ ।।
*
हैं उदास कोमल पल्लव जो, अभी उगे हैं डाली पर ,
कलियों के मन में उपजा है ,क्रोध बाग के माली पर ,
नहीं किसी को किंचित चिंता, सिसक रही मनुहार यहाँ ।
घुटा हुआ दम अरमानों का , हुई विषैली ब्यार यहाँ।।1
*
नहीं चुना है शायद हमने, सोच समझ पथ अपना ये,
दृश्य यहाँ साकार हुआ जो, था न हमारा सपना ये ,
अपने हाथों पाँव कुल्हाड़ी , ली है हमने मार यहाँ ।
घुटा हुआ दम अरमानों का, हुई विषैली ब्यार यहाँ ।।2
*
आहें सुनी नहीं अम्बर की, पीर न जानी नदियों की ,
भू माता को किया खोखला, बातें करते सदियों की ,
अपने सिर पर कितना लादा , सोच न पाये भार यहाँ।
घुटा हुआ दम अरमानों का, हुई विषैली ब्यार यहाँ।।3
*
भोर हुई है कब की अब तो , जागो ओ सोने वालो ,
कैसे यौवन चल पायेगा , बचपन को खोने वालो ,
हमने हर नदिया की कर दी, कितनी गंदी धार यहाँ ।
घुटा हुआ दम अरमानों का , हुई विषैली ब्यार यहाँ ।।4
*
वृक्ष लगाकर अपने हाथों, कुछ तो कर्ज उतारो जी ,
बहुत बिगाड़ा चित्र उसे अब अपने हाथ सँवारो जी ,
आने वाली पीढ़ी को कुछ , दे जाओ उपहार यहाँ ।
घुटा हुआ दम अरमानों का , हुई विषैली ब्यार यहाँ।।5
*****
-महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
***