मित्रता दिवस खोजूं सत्य चरित्त
हुआ सुदामा सा कभी,,कब किसका सत्कार!
कान्हा जैसा दूसरा,…..हुआ नही फिर यार!!
बना सुदामा मैं प्रभो,……खोजूं सत्य चरित्र !
कलियुग में भी श्याम सा, सीधा सच्चा मित्र !!
देख सुदामा मीत को , नजरे फेरें श्याम !
बदल गये इस दौर में ,यारी के आयाम !!
रमेश शर्मा.